जगत के नाथ जगन्नाथ,जग दर्शन को हैं निकले आज
ये दिन बड़े ही दुर्लभ होते,दौड़ पडो
छोड़ सब काज ॥
भक्त वत्सल भगवान,मंदिर से निकल आये
हैं
दया,करुणा ,वत्सलता,सब पर ही बरसाए हैं॥
एक बार जो कर ले दर्शन,कोटि जन्म के
पाप कट जाए
खींच लिया जो रस्सा रथ का,जन्म-मृत्यु
की रस्सी कट जाए॥
प्रभु ले नखरे,भक्त की ठिठोली
शरारतें प्रभु की,भक्त की बोली
◄▓॥जय जगन्नाथ॥◄▓►॥जय बलदेव॥◄▓►॥जय सुभद्रा॥▓►
◄▓॥जय जगन्नाथ॥◄▓►॥जय बलदेव॥◄▓►॥जय सुभद्रा॥▓►
कभी वो रथ पर ही,नही आते
कभी वो रथ पर ही,नही आते
कभी चलते-चलते,रुक जाते
अगर दर्शन देना चाहते कहीं,तो फिर
प्रभु वही रुक जाते
आज भक्त भगवान के पास नही,भगवान भक्त
के पास हैं आते ॥
ऐसी ही लीलाएं प्रभु की,सुलभ होती
सबके लिए
◄▓॥जय जगन्नाथ॥◄▓►॥जय बलदेव॥◄▓►॥जय सुभद्रा॥▓►
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