Tuesday, 16 December 2014

॥गोविन्द दामोदर माध्वेति॥

गोविन्द मेरी यह प्रार्थना है,
भूलूँ न मैं नाम कभी तुम्हारा।
निष्काम होके दिनरात गाऊँ।
गोविन्द दामोदर माध्वेति।

हे कॄष्ण, हे यादव, हे सखेति॥

देहान्तकाले तुम सामने हो,
www.krishanpremsansthan.org

 बंशी बजाते, मन को लुभाते।
गाता यही मैं, तन नाथ त्यागूँ।
 गोविन्द दामोदर माध्वेति।
हे कॄष्ण, हे यादव, हे सखेति॥
माता यशोदा हरि को जगावे,
 जागो उठो मोहन नैन खोलो।
द्वारे खड़े गोप बुला रहे हैं।
 गोविन्द दामोदर माध्वेति।
हे कॄष्ण, हे यादव, हे सखेति॥

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