Friday, 15 May 2015

बाँके बिहारी मुझको देना सहारा


बाँके बिहारी मुझको देना सहारा,
कहीं छुट जाये न दामन तुम्हारा।


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तेरे सिवा दिल में समाये न कोई,
लगन का यह दीपक बुझाये न कोई।
तू ही मेरी किश्ती तू ही है किनारा,
कहीं छुट जाये न दामन तुम्हारा।

बाँके बिहारी मुझको देना सहारा,
तेरे नाम का गान गाता रहूँ मैं।
सुबह शाम तुझको रिझाता रहूँ मैं,
तेरा नाम हो मुझको प्राणों से प्यार।
तेरे रास्ते से हटाती है दुनिया,
इशारों से मुझको बुलाती है दुनिया।

देखूँ न हरगिज मैं दुनिया का इशारा,
कहीं छुट जाये न दामन तुम्हारा।

Tuesday, 16 December 2014

॥गोविन्द दामोदर माध्वेति॥

गोविन्द मेरी यह प्रार्थना है,
भूलूँ न मैं नाम कभी तुम्हारा।
निष्काम होके दिनरात गाऊँ।
गोविन्द दामोदर माध्वेति।

हे कॄष्ण, हे यादव, हे सखेति॥

देहान्तकाले तुम सामने हो,
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 बंशी बजाते, मन को लुभाते।
गाता यही मैं, तन नाथ त्यागूँ।
 गोविन्द दामोदर माध्वेति।
हे कॄष्ण, हे यादव, हे सखेति॥
माता यशोदा हरि को जगावे,
 जागो उठो मोहन नैन खोलो।
द्वारे खड़े गोप बुला रहे हैं।
 गोविन्द दामोदर माध्वेति।
हे कॄष्ण, हे यादव, हे सखेति॥

॥अच्युतम केशवं राम नारायणं॥

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अच्युतम केशवं राम नारायणं
,
कृष्ण दमोदरम् वासुदेवं हरिं,
श्रीधरं माधवं गोपिका वल्लभं,
जानकी नायकं रामचंद्रम भजे।

अच्युतम केसवं सत्य भामधावं,
माधवं श्रीधरं राधिका अराधितम,
इंदिरा मन्दिरम चेतसा सुन्दरम,
देवकी नंदनं नन्दजम सम भजे।

॥तेरी मंद मंद मुस्कनिया पे॥



तेरी मंद मंद मुस्कनिया पे
बलिहार जाऊ रे , बलिहार सांवरे ॥
तेरे नैन गजब कजरारे, मटके हैं कारे कारे
तेरी तिरछी से चितवनीया पे
बलिहार जाऊ रे , बलिहार सांवरे ॥
तेरी मंद मंद मुस्कनिया पे
बलिहार जाऊ रे , बलिहार सांवरे ॥
तेरे केश बड़े घुंघराले, ज्यों बादल कारे कारे
तेरी कुंडल की झलकनिया पे
बलिहार जाऊ रे,बलिहार सांवरे ॥
तेरी मंद मंद मुस्कनिया पे
बलिहार जाऊ रे , बलिहार सांवरे ॥


तेरी चाल अजब मतवाली,लगाती प्यारी प्यारी
तेरी मधुर मधुर पैजनिया पे
बलिहार जाऊ रे , बलिहार सांवरे ॥
 तेरी मंद मंद मुस्कनिया पे
बलिहार जाऊ रे , बलिहार सांवरे ॥

॥ राधे तेरे चरणो की ॥



राधे तेरे चरणो की


प्यारी  राधे तेरे चरणो की…
श्यामा तेरे चरणो की
गर धुल जो मिल जाए…
सच कहती हूँ  राधे
मेरी तकदीर बदल जाए,
ये मन बङा चंचल है
कैसे तेरा भजन करू,
जितना इसे समझाऊँ ,
उतना ही मचल जाए,
राधे तेरे चरणो की…
श्यामा तेरे चरणो की
गर धुल जो मिल जाए…
सुनते है तेरी रहमत दिन रात बरसती है,
एक बूँद जो मिल जाए श्यामा,
जीवन सफल हो जाए प्यारी,
दिल की कली खिल जाए,
राधे तेरे चरणो की…
श्यामा तेरे चरणो की

गर धुल जो मिल जाए…

Thursday, 11 July 2013

॥ठाकुर भले विराजोजी॥

॥ठाकुर भले विराजोजी॥
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◄▓जय जगन्नाथ◄▓►जय बलदेव◄▓►जय सुभद्रा▓►
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नीलाचल निवासाय नित्याय परमात्मने।
बलभद्र शुभद्राभ्याम् जगन्नाथाय ते नमः।।

ठाकुर  भले  विराजो  जी 
ओडिशा जगन्नाथ पुरी में,
ठाकुर भले विराजो जी 
साधो भले विराजो जी
ठाकुर भले विराजो जी
 उड़ीसा जगन्नाथ पुरी में 
भले विरोजो जी 
काहे छोड़ी मथुरा नगरी
काहे छोड़ी काशी
झारखंड में आये विराजे
वृन्दावन के वासी।
ठाकुर भले विराजो जी
 उड़ीसा जगन्नाथ पुरी में 
भले विरोजो जी 
उड़िया मांगे क्षीर खिचड़ी, 
बंगाली मांगे भात
साधु मांगे दरशन, 
अभर मांगे महाप्रसाद।
ठाकुर भले विराजो जी
 उड़ीसा जगन्नाथ पुरी में 
भले विरोजो जी




॥जगन्नाथ स्वामी॥

नीलाचल निवासाय नित्याय परमात्मने
बलभद्र शुभद्राभ्याम् जगन्नाथाय ते नमः
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नीलाचल निवासाय नित्याय परमात्मने
बलभद्र शुभद्राभ्याम् जगन्नाथाय ते नमः

परसत चरणारविन्द आपदा हरी
निरखत मुखारविंद आपदा हरी
कंचन धुप धयान ज्योति जगमगी
अग्नि कुंण्डल घृतपाव सथरी
देवन  दवारे ठाडे रोहिणी खड़ी
मारकण्डे श्वेत गंगा आन करी
गरुण खंभ सिह पौर यात्री जुडी
यात्री की भीड़ बहुंत बेंत की छड़ी
धन्य - धन्य सूरश्याम आज की घडी

॥जय जगन्नाथ॥

जगत के नाथ जगन्नाथ
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जगत के नाथ जगन्नाथ,जग दर्शन को हैं निकले आज
ये दिन बड़े ही दुर्लभ होते,दौड़ पडो छोड़ सब काज 
भक्त वत्सल भगवान,मंदिर से निकल आये हैं
दया,करुणा ,वत्सलता,सब पर ही बरसाए हैं
एक बार जो कर ले दर्शन,कोटि जन्म के पाप कट जाए
खींच लिया जो रस्सा रथ का,जन्म-मृत्यु की रस्सी कट जाए
प्रभु ले नखरे,भक्त की ठिठोली
शरारतें प्रभु की,भक्त की बोली
◄▓॥जय जगन्नाथ॥◄▓►॥जय बलदेव॥◄▓►॥जय सुभद्रा▓►
◄▓॥जय जगन्नाथ॥◄▓►॥जय बलदेव॥◄▓►॥जय सुभद्रा▓►
कभी वो रथ पर ही,नही आते
कभी चलते-चलते,रुक जाते

अगर दर्शन देना चाहते कहीं,तो फिर प्रभु वही रुक जाते
आज भक्त भगवान के पास नही,भगवान भक्त के पास हैं आते

ऐसी ही लीलाएं प्रभु की,सुलभ होती सबके लिए
जगन्नाथ आज निकले हैं,दाऊ,सुभद्रा को साथ लिए

◄▓॥जय जगन्नाथ॥◄▓►॥जय बलदेव॥◄▓►॥जय सुभद्रा▓►

Sunday, 7 July 2013

श्री यमुनाष्टक

॥ श्री यमुनाष्टक ॥

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नमामि यमुनामहं सकल सिद्धि हेतुं मुदा
मुरारि पद पंकज स्फ़ुरदमन्द रेणुत्कटाम ।
तटस्थ नव कानन प्रकटमोद पुष्पाम्बुना
सुरासुरसुपूजित स्मरपितुः श्रियं बिभ्रतीम ॥१॥

कलिन्द गिरि मस्तके पतदमन्दपूरोज्ज्वला
विलासगमनोल्लसत्प्रकटगण्ड्शैलोन्न्ता ।
सघोषगति दन्तुरा समधिरूढदोलोत्तमा
मुकुन्दरतिवर्द्धिनी जयति पद्मबन्धोः सुता ॥२॥

भुवं भुवनपावनीमधिगतामनेकस्वनैः
प्रियाभिरिव सेवितां शुकमयूरहंसादिभिः ।
तरंगभुजकंकण प्रकटमुक्तिकावाकुका-
नितन्बतटसुन्दरीं नमत कृष्ण्तुर्यप्रियाम ॥३॥
अनन्तगुण भूषिते शिवविरंचिदेवस्तुते
घनाघननिभे सदा ध्रुवपराशराभीष्टदे ।
विशुद्ध मथुरातटे सकलगोपगोपीवृते
कृपाजलधिसंश्रिते मम मनः सुखं भावय ॥४॥

यया चरणपद्मजा मुररिपोः प्रियं भावुका
समागमनतो भवत्सकलसिद्धिदा सेवताम ।
तया सह्शतामियात्कमलजा सपत्नीवय-
हरिप्रियकलिन्दया मनसि मे सदा स्थीयताम ॥५॥

नमोस्तु यमुने सदा तव चरित्र मत्यद्भुतं
न जातु यमयातना भवति ते पयः पानतः ।
यमोपि भगिनीसुतान कथमुहन्ति दुष्टानपि
प्रियो भवति सेवनात्तव हरेर्यथा गोपिकाः ॥६॥
ममास्तु तव सन्निधौ तनुनवत्वमेतावता
न दुर्लभतमारतिर्मुररिपौ मुकुन्दप्रिये ।
अतोस्तु तव लालना सुरधुनी परं सुंगमा-
त्तवैव भुवि कीर्तिता न तु कदापि पुष्टिस्थितैः ॥७॥

स्तुति तव करोति कः कमलजासपत्नि प्रिये
हरेर्यदनुसेवया भवति सौख्यमामोक्षतः ।
इयं तव कथाधिका सकल गोपिका संगम-
स्मरश्रमजलाणुभिः सकल गात्रजैः संगमः ॥८॥

तवाष्टकमिदं मुदा पठति सूरसूते सदा
समस्तदुरितक्षयो भवति वै मुकुन्दे रतिः ।
तया सकलसिद्धयो मुररिपुश्च सन्तुष्यति
स्वभावविजयो भवेत वदति वल्लभः श्री हरेः ॥९॥